निजी ज़िन्दगी में जितनी खुशमिजाज़ अपने पेशे के प्रति उतनी ही गंभीर। आज हम बात कर रहे हैं ऐसी शख्स की जिसके बारे में यह कहना गलत नहीं होगा की वह दिमाग और ख़ूबसूरती का मिश्रण है और साथ ही मासूमियत और गंभीरता का अंदाज इस महिला के अलावा किसी और के चेहरे पर शायद ही देखने को मिले। जिनकी आंखों को बचपन से ही मैडल और ट्रॉफी की चमक से इतना सुकून मिलता था की उनके सामने बचपन के बाकी शौक फीके थे। जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं शह और मात की चैंपियन तानिया सचदेव की जिन्होंने एक खेल को खेलने के शौक से अपने नाम का कीर्तिमान बनाया। इनके हुनर के चर्चे पूरे विश्व में विख्यात हैं। तानिया अपने तेज़ दिमाग से 8 साल की उम्र में शतरंज में पहला इंटरनेशनल खिताब हासिल करने वाली हमारे देश की पहली बेस्ट शतरंज महिला खिलाड़ी हैं। तानिया को बेस्ट इंडियन वीमेन एथेलट्स में स्पोर्ट्स वर्ल्ड की सबसे खूबसूरत महिलाओं में भी गिना जाता है।

माता-पिता का परिचय
भारतीय शतरंज की ग्लैमर गर्ल का जन्म 20 अगस्त, 1986 को दिल्ली में हुआ। इनके पिता का नाम पम्मी सचदेव है और वे भी शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं।इसलिए शतरंज तानिया के खून में है।
तानिया की माँ का नाम अंजू सचदेव है और तानिया की इस बुलंदी के पीछे उनकी माँ का सबसे बड़ा हाथ है। उन्होंने हर कदम पर तानिया का सहयोग किया।

तानिया की ज़िन्दगी का टर्निंग पॉइंट
6 साल की उम्र में उनके जन्मदिन पर किसी ने उन्हें चेस्बोर्ड तोहफे में दिया। इस तोहफे ने उनकी ज़िन्दगी बदल दी। उन्होंने चेस बारे में अपने पिता से जानकारी ली और उसे खेलना सीखा। और धीरे-धीरे यह खेल उनका शौक बन गया। उसने हर शाम अपने पिता के साथ शतरंज खेलना शुरू किया और फिर अपनी ज़िन्दगी को शतरंज की ओर ही मोड़ दिया।

पुराने रिकॉर्ड तोड़ रचा इतिहास
उन्होंने ब्रिटिश चैंपियनशिप में 5 खिताब जीत कर इतिहास रच डाला। उन्होंने यह खिताब जीत कर 90 साल पुराण रिकॉर्ड तोड़ दिया। तानिया ने 2010 में चेस ओलिंपियाड में भी हिस्सा लिया था लेकिन उस वक़्त वह देश की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी। लेकिन इसकी भरपाई उन्होंने 2012 के ओलिंपियाड में कर ली। उन्होंने इस्ताम्बुर चैस ओलिंपियाड, 2012 में ज़बरदस्त प्रदर्शन करते हुए ब्रोंज मैडल को देश की झोली में डाला और तुर्की में भारतीय तिरंगा फहराया। सितम्बर 2007 में वह एशियाई महिला शतरंज की क़्वीन बनी। इसी साल उन्होंने शतरंज में राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीती।

तानिया की खूबियां की फेहरिस्त
होनहार इंडियन चेस प्लेयर होने के साथ ही उनमें और भी कई खूबियां हैं। तानिया चेस चैंपियन होने के साथ ही मोटिवेशनल स्पीकर और कमेंटेटर भी हैं।  2013 में मैग्नस कार्लसन और विश्वनाथन आनंद के बीच हुई विश्व चैंपियनशिप में वह मैच के लिए आधिकारिक कमेंटरी टीम की सदस्य भी रह चुकी हैं।

तानिया ने किन खिताबों को अपने नाम किया

सीनियर वर्ग में एशियाई चैंपियनशिप तानिया का अबतक का सबसे बड़ा खिताब है। इनको इंटरनेशनल मास्टर और वीमेन ग्रैंड मास्टर का खिताब भी मिल चुका है। तानिया ग्रैंड मास्टर बनने वाली देश की आठवीं महिला खिलाड़ी हैं। उनका सपना विश्व चैंपियन बनने का है। 2009 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया जो हर किसी खिलाडी का सपना होता है। जो देशभर के मात्र 1000 खिलाड़ियों को दिया जाता है।

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