मेरा नज़रिया


   बी.जे.पी या बी.ल.पी

आप सब को नहीं लगता कि बी.जे.पी(भारतीय जनता पार्टी) को अपना नाम बदल कर बी.ल.पी(भारत लूटो पार्टी) रख लेना चाहिए।

2014 में हमारे देश में मोदी लहर आई थी क्योंकि मोदी जी ने बहुत से ऐसे वादे किये थे जिन्हें सुनकर भारतवासियों को लगा कि ये तो अपने वादों को ज़रुर पुरा करेंगे क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने गुजरात के लिए बहुत से अच्छे काम किए थे जिस वजह से  उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में चौदह वर्ष काम किया। 2014 में जब चुनाव थे उस दौरान हर टी.वी. चैनल पर एक ही विज्ञापन बार-बार दिखाया जाता था कि अच्छे दिन आने वाले हैं  पर यह तो उन्होंने कभी बताया ही नहीं कि अच्छे दिन किसके आने वाले हैं। सभी  लोगों को लगा कि मोदी जी हमारे अच्छे दिनों कि बात कर रहें हैं और यही हमारी सबसे बड़ी भूल थी। मोदी जी के तो अच्छे दिन आ गए और हम आज चार साल बाद भी अच्छे दिनों का ही इंतज़ार कर रहे हैं। मैं मानती हूँ कि वोट देना देश के हर नागरिक का अधिकार है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं ना कि हम बिना कुछ जाने किसी को भी वोट दे दें। अगर किसी को ये समझ नहीं आ रहा है कि कौन सही है और कौन गलत, तो वोट दो ही मत। कौन कहता है कि देश का एक प्रधानमंत्री होना ही चाहिए। अगर प्रधानमंत्री देश को लुटने और लुटाने वाला हो तो हमें उनकी ज़रुरत ही क्या है। उससे तो अच्छा ये होगा कि हम खुद ही अपने देश में सुधार कर लें तब तो ज़रुर कुछ-न-कुछ सुधार हो पाएगा।

         8 नवम्बर,2016 को भारत में नोटबन्दी की गई, लोगों को घंटो तक लाइन में लगना पड़ा। उस समय शादियों का समय भी था इसलिए लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा और कुछ लोगों ने खुदखुशी भी कर ली। कहने को तो नोट कालेधन को बाहर निकालने के लिए बदले गए थे, पर क्या कालाधन बाहर आया? नहीं ना। हमारे देश में इतना भ्रष्टाचार है कि कालाधन कभी बाहर आ ही नहीं सकता। जब हमारे देश के आम लोग ही इतने भ्रष्ट हैं तो बड़े लोगों के तो कहने ही क्या। मुझे नहीं लगता कि नोट बदलने के पीछे का असली मकसद कालेधन को बाहर निकालना था, बल्कि मेरा मानना है कि नोटों को बदलने के पीछे का असली मकसद यही रहा होगा की नोटों को बदले जाने से हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सके और उन्हें भी भविष्य में सभी लोगों द्वारा याद किया जाए क्योंकि दुनिया में अगर किसी चीज़ का बोलबाला है तो वो है पैसा।

       आम आदमी टैक्स भरता है अपने हालातों को सुधारने के लिए लेकिन उसके हालात तो कभी सुधरते ही नहीं हैं। जब सवाल किया जाता है तो जवाब में ये सुनने को मिलता है कि नीरव मोदी जैसे लोग पैसा लेकर भाग गए हैं तो अब सुधार कैसे होगा। पहले तो तरह-तरह के लोन देने के वादे किए जाते हैं, जब आम आदमी लोन लेने के लिए बैंक में जाता है तो उसे वह लोन पास कराने के लिए हज़ारों चक्कर काटने पड़ते हैं पर फिर भी ये ज़रुरी नहीं की उसको लोन मिल ही जाएगा। फिर विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोगों को बैंक वाले इतना पैसा देकर लूटने को कैसे तैयार हो जाते हैं। आम आदमी आज भी टुटी-फुटी सड़कों पर चल रहा है, वहीं हमारे प्रधानमंत्री को विदेशों की सैर करने से ही फुर्सत नहीं मिल रही है। जिन फ्लाईट्स में वो विदेशों कि यात्रा कर रहे हैं उनका पैसा कौनसा मोदी जी खुद दे रहें हैं, वो भी तो जनता से ही लुट रहे हैं।

            अगर भारत को भी विकसित देश बनना है तो हमारे देश से आरक्षण नाम के कीड़े को निकालना होगा क्योंकि बाहरी देशों की प्रगति हमारे ही नौजवानों की वजह से हो रही है। जो योग्य छात्र होते हैं उन्हें आरक्षण के नाम पर उनकी योग्यतानुसार नौकरी नहीं मिलती है जिससे नाखुश होकर वे देश छोड़कर चले जाते हैं इस उम्मीद में की वहाँ उनको अच्छी नौकरी मिलेगी, पैसा भी अच्छा मिलेगा और वहाँ उनके काम को भी सराहा जाएगा। उनकी उम्मीद सही भी साबित होती है क्योंकि दुसरे देश उन छात्रों का दिल खोलकर स्वागत करते हैं। अगर हमारे देश से यह कीड़ा निकाल कर फेंक दिया जाए तो कुछ ही सालों में हमारा देश भी विकसित देशों की श्रेणी में आ जाएगा पर बी.जे.पी को तो ये भी मंज़ुर ही नहीं है तभी तो बी.जे.पी के अध्यक्ष अमित शाह ने बयान दिया है कि बी.जे.पी ना तो आरक्षण खत्म करेगी और ना ही किसी को खत्म करने देगी।    

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